पुराण (हिंदी)

पुराण (हिंदी)

मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं वचतुष्टयम् |
अनापलिंगकूस्कानि पुराणानि प्रचक्षते॥
पुराण शब्द का शाब्दिक अर्थ है प्राचीन, पुराना, और यह विभिन्न विषयों, विशेष रूप से मिथकों, किंवदंतियों और अन्य पारंपरिक विद्याओं के बारे में भारतीय साहित्य की एक विशाल शैली है| महाभारत के कथावाचक व्यास को भौगोलिक दृष्टि से पुराणों के संग्रहकारी के रूप में श्रेय दिया जाता है| मुख्य रूप से संस्कृत में रचित, इनमें से कई ग्रंथों के नाम प्रमुख हिंदू देवताओं जैसे विष्णु , शिव और देवी के नाम पर हैं|
पुराण शास्त्रीय हिंदू साहित्य का एक समूह है जिसे हिंदू पौराणिक कथाओं, धर्म और संस्कृति में इसकी प्रासंगिकता के लिए अत्यधिक माना जाता है| पुराण पौराणिक कथाओं, इतिहास, भूगोल, ब्रह्मांड विज्ञान और दर्शन सहित कई विषयों पर जानकारी का एक बड़ा स्रोत हैं| पुराणों को तीन भागों में विभाजित किया गया है| दो भागों में विभाजित पहले बारह सत्त्वगुण और रजोगुण से संबंधित हैं और अंतिम छह तमोगुण से संबंधित हैं|

१८ महा (प्रमुख) पुराण |
१८ उप (लघु) पुराण |

१८ महा (प्रमुख) और १८ उप (लघु) पुराण हैं| {*पाठभेदानुसार २१ या २४ उप (लघु) पुराण माने जाते हैं|} अत: पुराणों की कुल संख्या ३६ है| यह ज्ञात नहीं है कि इन्हें किसने लिखा, लेकिन पुराणों का मूल प्रारूप महर्षि वेद व्यास द्वारा संकलित किया गया था| पुराण ज्ञान, परंपरा और आदर्शों का एक महत्वपूर्ण भंडार हैं जिन्होंने सहस्राब्दियों से भारतीय समाज और संस्कृति को प्रभावित किया है|

१८ पुराण
१) विष्णु पुराण में २३,००० श्र्लोक हैं|
२) ब्रह्म पुराण में १०,००० श्र्लोक हैं|
३) पद्म पुराण में ५५,००० श्र्लोक हैं|
४) वायु पुराण में ११,००० श्र्लोक हैं|
५) श्रीमद्भागवत पुराण में १८,००० श्लोक हैं| पुराणों में सबसे प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध, यह विष्णु के दस अवतारों की कहानी बताता है|
६) नारद पुराण में २२,००० श्र्लोक हैं|
७) मार्कंडेय पुराण में ९,००० श्लोक हैं और देवी महात्म्यम भी शामिल है, जो शाक्तों के लिए एक आवश्यक साहित्य है|
८) अग्नि पुराण में १५,००० श्लोक हैं|
९) भविष्य पुराण में १४,५०० श्र्लोक हैं|
१०) ब्रह्मवैवर्त पुराण में १८,००० श्र्लोक हैं|
११) लिंग पुराण, जिसमें ११,००० श्लोक हैं|
१२) वराह पुराण में २४००० श्लोक है|
१३) स्कंद पुराण में ८१,१०० श्लोक हैं|
१४) शिव पुराण में २४००० श्लोक है|
१५) वामन पुराण में १०,००० श्लोक है|
१६) कूर्म पुराण में १७,००० श्लोक है|
१७) मत्स्य पुराण में १४,००० श्र्लोक हैं|
१८) गरुड़ पुराण में १९,००० श्र्लोक हैं|

१८ उप पुराण 

१) आदि पुराण (सनत्कुमार)
२) नरसिंह पुराण (नृसिंह)
३) नन्दिपुराण (कुमार)
४) शिवधर्मपूर्व पुराण (तथा शिवधर्नमोत्तर)
५) आश्चर्य पुराण (दुर्वासा)
६) नारदीय पुराण (नारद)
७) कापिल पुराण (कपिल)
८) मानव पुराण (मनु)
९) औशनस पुराण (उशना)
१०) ब्रह्माण्ड पुराण
११) वारुण पुराण (वरुण)
१२) कालिका पुराण (सती)
१३) माहेश्वर पुराण (वासिष्ठलैङ्ग)
१४) साम्ब पुराण (आदित्य)
१५) सौर पुराण (सूर्य)
१६) पाराशर पुराण (पराशरोक्त)
१७) मारीच पुराण (भागवत)
१८) भार्गव पुराण (वासिष्ठ).

अठारह पुराणों  के अतिरिक्त कुछ उप-पुराणों की भी रचना की है। २१ उप-पुराणों को पुराणों का ही साररूप कहा जा सकता है । उप-पुराण इस प्रकार हैं:-

पाठभेदानुसार २१ (लघु) उप पुराण* 

१) गणेश पुराण
२) श्री नरसिंह पुराण
३) कल्कि पुराण
४) एकाम्र पुराण
५) कपिल पुराण
६) दत्त पुराण
७) श्री विष्णुधर्मौत्तर पुराण
८) मुद्गगल पुराण
९) सनत्कुमार पुराण
१०) शिवधर्म पुराण
११) आचार्य पुराण
१२) मानव पुराण
१३) उश्ना पुराण
१४) वरुण पुराण
१५) कालिका पुराण
१६) महेश्वर पुराण
१७) साम्ब पुराण
१८) सौर पुराण
१९) पराशर पुराण
२०) मरीच पुराण
२१) भार्गव पुराण

पाठभेदानुसार २४ (लघु) उप पुराण*

१) आदि पुराण (सनत्कुमार द्वारा कथित)
२) नरसिंह पुराण
३) नन्दिपुराण (कुमार द्वारा कथित)
४) शिवधर्म पुराण
५) आश्चर्य पुराण (दुर्वासा द्वारा कथित)
६) नारदीय पुराण (नारद द्वारा कथित)
७) कपिल पुराण
८) मानव पुराण
९) उशना पुराण (उशनस्)
१०) ब्रह्माण्ड पुराण
११) वरुण पुराण
१२) कालिका पुराण
१३) माहेश्वर पुराण
१४) साम्ब पुराण
१५) सौर पुराण
१६) पाराशर पुराण (पराशरोक्त)
१७) मारीच पुराण
१८) भार्गव पुराण
१९) विष्णुधर्म पुराण
२०) बृहद्धर्म पुराण
२१) गणेश पुराण
२२) मुद्गल पुराण
२३) एकाम्र पुराण
२४) दत्त पुराण

✎ Edit

Posted by - Admin,
on - रविवार, २४ डिसेंबर, २०२३,
Filed under - ,
You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0
Loading navigation...

कोणत्याही टिप्पण्‍या नाहीत:

टिप्पणी पोस्ट करा

The Web Only VRITTABHARATI

हवामान

Subscribe Us

Subscribe Us for Latest Updates
Enter your email address:
ई-मेल करा व "वृत्ताभारती"चे सभासद व्हा.

FEATURED VIDEOS